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आरटीआई के जरिए बुन रहा था जाल, मुंह के बल गिरा शख्स, आयोग ने किया पीआरडी से फर्जीवाड़े का खुलासा

Dehradun: सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम को झूठ की सीढ़ी बनाने की कोशिश में एक शख्स मुंह के बल गिरा है। आरोप है कि उसने प्रांतीय रक्षक दल (पीआरडी) में ड्राइवर पद पर नियुक्ति पाने के लिए फर्जी प्रशिक्षण प्रमाण पत्र बनवाया। पीआरडी ने उसके प्रमाण पत्र पर संदेह जताकर आवेदन खारिज किया तो उस शख्स ने आरटीआई के जरिए दबाव बनाने की कोशिश की।

उसने आरटीआई लगाकर विभागीय प्रक्रिया से संबंधित दस्तावेज मांग लिए। मामले में फर्जीवाड़े की आशंका के चलते राज्य सूचना आयोग ने पीआरडी से उच्च स्तरीय जांच कराई। जांच में साफ हो गया कि प्रशिक्षण प्रमाण पत्र फर्जी था। इस खुलासे पर राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने पुलिस से जांच रिपोर्ट तलब कर ली। इसके बाद रायपुर पुलिस ने अपीलकर्ता पंकज के खिलाफ जालसाजी की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

आयोग की सजगता से कड़ी दर कड़ी खुला मामला

आरटीआई अपीलकर्ता पंकज कुमार ऊधमसिंह नगर निवासी है। उसने बागेश्वर में पीआरडी ड्राइवर पद पर आवेदन किया था। साथ में देहरादून में पीआरडी का प्रशिक्षण लेने संबंधी प्रमाण पत्र लगाया। आवेदन खारिज होने पर पीआरडी में आरटीआई लगाकर संबंधित दस्तावेज मांगे। पीआरडी के जवाब में प्रमाण पत्र पर संदेह की रिपोर्ट आई। इस रिपोर्ट को राज्य सूचना आयुक्त ने गंभीरता से लिया। उन्होंने मामले की उच्चस्तरीय विस्तृत जांच का आदेश दिया। इस पर पीआरडी निदेशक ने बीती सात जनवरी को अपर सचिव आरसी डिमरी, उप निदेशक एसके जयराज और सहायक निदेशक दीप्ति जोशी की समिति गठित की।

सारा ठीकरा मृत व्यक्ति के सिर फोड़ा

उच्चस्तरीय समिति ने पंकज समेत चार संदिग्धों के बयान लिए। पंकज ने कहा कि उसे नहीं पता कि प्रशिक्षण प्रमाण पत्र किसने भिजवाया। उसे तो डाक से मिला था। आवेदन में पंकज के ससुर (सेवानिवृत्त तहसीलदार) की भूमिका को देखते हुए समिति ने उनके भी बयान लिए। हैरानी की बात है कि जांच में शामिल संदिग्धों ने कहा कि उन्होंने पंकज के आवेदन संबंधी दस्तावेज किसी सतीश कुमार को भेज दिए थे, उसने आगे क्या किया, उन्हें नहीं पता।

जांच समिति ने कथित सतीश कुमार के मोबाइल नंबर पर संपर्क किया तो उनकी पत्नी ने बताया कि सतीश की दो अगस्त 2024 को मृत्यु हो चुकी है। आशंका जताई गई कि तीनों ने सोची-समझी रणनीति के तहत सतीश का नाम लिया, जिससे यह पता नहीं चल सका कि पंकज को फर्जी प्रमाण पत्र कैसे मिला, इसमें विभागीय अधिकारियों की संलिप्तता थी या नहीं। इस पर राज्य सूचना आयोग ने पुलिस को जांच का आदेश दिया।

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