उत्तराखंड लोक विरासत महोत्सव में बिखरे पहाड़ के रंग
Dehradun: उत्तराखंड लोक विरासत में रविवार को पहाड़ के दिग्गज लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी, किशन महिपाल, ओम बधानी, प्रह्लाद मेहरा, रजनीकांत सेमवाल, अंजलि खरे समेत अनेक लोकगायकों ने शानदार प्रस्तुति देकर दर्शकों का मनोरंजन किया। इस दौरान शाम को पहाड़ी वेषभूषा में फैशन शो का आयोजन किया गया। इसमें लारा लत्ता-गैंणा पत्ता ने नीती माणा से लेकर धारचूला पिथौरागढ़ तक की संस्कृति को सामने रखा गया।
हरिद्वार बाईपास स्थित सोशल बलूनी स्कूल में सांस्कृतिक विरासत के अंतिम दिन पहाड़ के दूरस्थ इलाकों की संस्कृति व लोक संगीत को कलाकारों ने उत्साह के साथ पेश किया। इस दौरान अनुभवी व युवा लोककलाकारों ने संगीत के सुर बिखेरकर दर्शकों को नाचने पर मजबूर कर दिया। इससे पूर्व स्कूल परिसर में दिनभर सांस्कृतिक उत्सवों का उल्लास छाया रहा।
आयोजक मंडल के संस्थापक चार धाम अस्पताल के निदेशक डॉ. केपी जोशी ने कहा कि तीन साल से उत्तराखंड लोक विरासत का आयोजन देहरादून में हो रहा है। यह आयोजन राज्य की संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। इस आयोजन को करने का यही मकसद है कि पहाड़ों के हस्तशिल्प और हुनर को उचित प्लेटफॉर्म मिल सके। इस दौरान राजू गुसांई, बीना बेंजवाल, गणेश खुगशाल गणी, माधव जोशी, राकेश डंगवाल, दौलत राम सेमवाल, स्वप्रिल जोशी, कविलास नेगी, सोहन चौहान, अब्बू रावत, रमन शैली आदि मौजूद रहे।
‘उत्तराखंड लोक विरासत’ बढ़ा रहा संस्कृति : सीएम
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि संस्कृति को बढ़ाने का काम ‘उत्तराखंड लोक विरासत’ करता है। सभी विश्व के लोग हमारी संस्कृति के लिए उत्तराखंड में आते हैं। इस बार चार धाम में 56 लाख लोग आए। कांवड़ यात्रा में चार करोड़ से अधिक लोग आए। इन्वेस्टर्स समिट के लिए ढाई लाख करोड़ से अधिक का एमओयू किया गया है। धर्मांतरण कानून के साथ ही नकल विरोधी कानून लाए। मुख्यमंत्री के सामने लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी और शैलेंद्र पटवाल ने ‘बेड़ू पाको बारामासा, नरेणा कफुल पाको… गीत गाया।
वाद्ययंत्रों और लोकनृत्यों ने लोगों का किया मनोरंजन
पहाड़ के लोकनृत्य, वाद्ययंत्र के अलावा भूले-बिसरे गीतों का दिनभर दौर चलता रहा। इसमें महेश राम जागरिया और उनके साथियों ने छोलिया, भगनौल, न्यौली, छपेली और गंगनाथ जागर की प्रस्तुति देकर लोगों को बांधे रखा। अर्चना सती ने बद्रीनाथ का जागर, खुदेड़ गीत गाया। वर्षा और उषा देवी ने पारंपरिक ढोल वादन, माता व भेरु जागर की प्रस्तुति दी। प्रेम हिंदवाल व ग्रुप ने भोटिया जनजाति नृत्य, पौंणा, बगड़वाल, मुखौटा नृत्य की प्रस्तुति दी।
पहाड़ी उत्पादों के स्टॉल में रही भीड़
पहाड़ी उत्पादों के साथ ही पहाड़ी फूड कार्नर के स्टॉल पर दिनभर भीड़ रही। पहाड़ी दालों में मसूर, लोबिया, सोयाबीन और राजमा लोगों ने खरीदा। कार्यक्रम के अंतिम दिन पहाड़ी टोपी और गर्म कपड़े भी लोगों ने खूब खरीदे।