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एस्केप पैसेज बनाया होता तो अंदर नहीं फंसते मजदूर

Dehradun: चारधाम महामार्ग विकास परियोजना में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में एस्केप पैसेज का निर्माण प्रस्तावित था। इस पूरी परियोजना का नाम ही सिलक्यारा बैंड-बड़कोट टनल विद एस्केप पैसेज रखा गया, लेकिन इसके निर्माण की ओर ध्यान नहीं दिया गया। यदि यहां एस्केप पैसेज का निर्माण किया गया होता तो सुरंग के अंदर भूस्खलन के चलते मजदूर नहीं फंसते और बाहर निकल आते।

दरअसल, सुरंगों में किसी भी तरह की आपातकालीन स्थितियों में बचाव के लिए एस्केप पैसेज या टनल का निर्माण किया जाता है। यह मुख्य सुरंग से छोटी होती है। इसका इस्तेमाल केवल आपातकालीन परिस्थितियों में ही होता है। यहां चारधाम महामार्ग परियोजना में निर्माणाधीन राज्य की सबसे लंबी डबल लेन 4.5 किमी लंबी सिलक्यारा से पोलगांव सुरंग में भी एस्केप पैसेज का निर्माण प्रस्तावित था।

एनएचआईडीसीएल की ओर से बनाई जा रही इस सुरंग में इसके निर्माण की ओर ध्यान नहीं दिया गया। सुरंग के बीचोंबीच एक दीवार बनाई जा रही थी, जिसमें हर 500 मीटर पर एक लेन से दूसरी लेन में जाने के लिए रास्ता दिया गया था।

Uttarkashi Tunnel Collapse workers would not trapped inside the tunnel If escape passage had been constructed

कार्यदायी संस्था एनएचआईडीसीएल के अधिकारी इसे ही एस्केप पैसेज बता रहे थे। उनका कहना है कि यदि एक लेन में कोई दिक्कत होगी, तो दूसरे लेन में आसानी से जाया जा सकेगा।

वर्तमान में जिस हिस्से में भूस्खलन से मजदूर फंसे, यह वहीं हिस्सा है। इसका समय पर उपचार किया गया होता तो भूस्खलन के खतरे को कम किया जा सकता था।

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