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महंगा हो गया दाल-चावल, खर्च बढ़ाए विभाग

रुड़की : कोरोना के कारण स्कूलों में बच्चों को अभी तक मध्याह्न भोजन (एमडीएम) के नाम पर कच्चा राशन दिया जा रहा था।  वहीं उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के ब्लाक अध्यक्ष मनमोहन शर्मा ने उप खंड शिक्षाधिकारी को पत्र देकर भोजन खर्च बढ़ाए जाने की मांग की है। ताकि बच्चों को नियमित रूप से मध्याह्न भोजन दिया जा सके। उनका कहना है कि महंगाई के चलते भोजन व्यवस्था को सुचारू रखना बेहद मुश्किल है।

ब्लाक अध्यक्ष मनमोहन शर्मा ने कहा कि दो साल बाद भी मध्याह्न भोजन की कुकिग कास्ट में कोई वृद्धि नहीं की गई है। जबकि महंगाई काफी बढ़ चुकी है। सरकारी स्कूलों में कक्षा एक से पांचवीं तक के बच्चों के लिए 4.23 रुपये और छह से आठवीं तक के बच्चे के लिए 7.45 रुपये प्रति बच्चा कुकिग कास्ट घोषित की गई है। हालांकि इसमें स्कूलों को चावल सरकार की तरफ से निश्शुल्क मिलता है। दो साल से यही रेट निर्धारित हैं। दो साल पहले भी इतने कम कुकिग कास्ट में बच्चों को सरकारी मानकों के अनुसार पौष्टिक भोजन दे पाना चुनौती बना हुआ था। तब भी शिक्षक जैसे-तैसे बच्चों को पौष्टिक भोजन दे रहे थे। वहीं, अब दो साल बाद फिर से मिड डे मील शुरू हो गया है। अब उम्मीद थी कि कुकिग कास्ट बढ़ा दी गई होगी। लेकिन, कुकिग कास्ट में कोई अंतर नहीं है। जबकि महंगाई दोगुनी हो चुकी है। ऐसे में शिक्षकों के सामने मानकों के अनुरूप मध्याह्न भोजन दिया जाना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि दो साल पहले दाल, सोयाबीन, छोले, राजमा, उड़द, तेल, मसाला, सब्जियां, नमक, मिर्च आदि के दामों में 20 प्रतिशत से भी अधिक वृद्धि हो चुकी है। ऐसे में पहले निर्धारित की गई कुकिग कास्ट में वर्तमान में मध्याह्न भोजन दिया जाना संभव नहीं है। जबकि विभाग पौष्टिक भोजन को लेकर ज्यादा सख्त रहता है। इसलिए कुकिग कास्ट बढ़ाई जानी चाहिए।

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