मुफलिसी मे पला और 40 साल की उम्र में मिला हुनर दिखाने का मौका
कॉरपोरेट घरानों में ‘यंग’ लोगों को काम करने का फैशन सा है। एचआर के लोग अपनी कंपनी में काम करने वालों की औसत आयु 30 के आसपास की बताकर इतराते हैं। लेकिन, ये सिर्फ एक मन का भ्रम है कि नौजवानों को साथ रखने से तरक्की खूब होती है या फिर कि जिनकी उम्र ज्यादा हो गई वे अब काम के नहीं रहे। दुनिया की नंबर वन एनीमेशन फिल्म कंपनी पिक्सार में लोग 70 साल के होकर भी नए जमाने के एनीमेशन बना रहे हैं और हिट हो रहे हैं। यहां तो कहानी सिर्फ 40 साल के एक ऐसे इंसान की है जो भारतीय क्रिकेट टीम के लिए खेलने का सपना पाले हुए है। नाम, प्रवीण तांबे। अक्सर उनका नाम सामने आने पर लोग पूछ ही लेते हैं, कौन प्रवीण तांबे? इस सवाल का सबसे सही जवाब दिया अभिनेता श्रेयस तलपडे ने जिन्होंने अपने करियर में दूसरी बार परदे पर क्रिकेटर बनने के लिए यही किरदार चुना।
श्रेयस तलपडे को जब पहली बार प्रवीण ताम्बे की कहानी के बारे में पता चला तो वह हैरान रह गए। एक बेहद गरीब परिवार में जन्मे प्रवीण ताम्बे ने क्रिकेट को ही अपना सब कुछ माना। बस कोई सही मार्ग दर्शक या हाथ पकड़ने वाला उन्हें जीवन में बहुत देर से मिला। लेकिन, प्रवीण ताम्बे ने अपनी फिटनेस पर पूरा ध्यान रखा। वह कहते हैं, ‘जिस उम्र में मुझे मौका मिला, उस उम्र में फिट रहना बहुत जरूरी है।’ श्रेयस तलपडे ने भी वही किया। फिल्म की शूटिंग से पहले उन्होंने इस किरदार के लिए जमकर तैयारी की। वही खाया जो प्रवीण ताम्बे ने खाया और वह सब कुछ किया जो प्रवीण ताम्बे के जीवन का हिस्सा बन चुका था।