Fri. Nov 22nd, 2024

राम जन्मभूमि आंदोलन के लिए संघ और भाजपा से जुड़े लोग बेहद सक्रिय

Dehradun: राम जन्मभूमि आंदोलन के लिए संघ और भाजपा से जुड़े लोग बेहद सक्रिय थे। जनता का उन्हें भरपूर समर्थन मिल रहा था। कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले इलाकों में भी शिला पूजन के कार्यक्रम हो रहे थे। इससे कांग्रेसी खासे विचलित थे। जब हम नारे लगाते राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे तो कांग्रेसी हम पर तंज कसते…लेकिन तारीख नहीं बताएंगे।

कार सेवकों के जब राम जन्म भूमि का आंदोलन एक जनांदोलन बना तो देखते ही देखते भगवान श्रीराम की जन्म स्थली अयोध्या में भव्य मंदिर बनाने का संकल्प मजबूत होता चला गया। 22 जनवरी को अयोध्या में श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है, विपक्षियों को राम भक्तों ने अब तारीख भी बता दी है।

कार सेवक प्रमुख बनाया गया
मेरे पास उस समय भाजपा के जिलाध्यक्ष का दायित्व था। मेरी सक्रियता को देखते हुए मुझे जिले का कार सेवक प्रमुख बना दिया गया। मैं नैनीताल जिले के आसपास के इलाकों में जाकर रामजन्म भूमि पर भगवान श्रीराम के मंदिर बनाए जाने के लिए जन समर्थन जुटा रहा था।

टोलियां बनाकर हम जगह-जगह सभाएं करते थे। पहले रामशिला पूजन के कार्यक्रम हुए। यहां से ईंटें अयोध्या भेजी गईं। हमारी सक्रियता स्थानीय पुलिस काे रास नहीं आ रही थी। हम उनकी नजरों में चढ़ चुके थे। मेरी तब 45 वर्ष की आयु रही होगी। पुलिस काे चकमा देकर हम एक स्थान से दूसरे स्थान पर डेरा जमा देते थे। जब आंदोलन अपने चरम पर पहुंच गया था, उस दौरान मैं घर से बाहर ही रहा करता था।

 

अल्मोड़ा की जेल में किया गया बंद
पुलिस हमारे घरों को जाती और धमकाती कि उन्हें बोल दें कि गिरफ्तार हो जाएं, अन्यथा ठीक नहीं होगा। एक हमारी टोली हल्दूचौड़ की ओर जा रही थी। पर्वतीय मोहल्ले से निकलकर जब हम बरेली रोड पर पहुंचे तो वहां हमें सीओ ने रोक दिया। हमने दूसरे रास्तों से निकलने की कोशिश की, लेकिन हर तरफ पुलिस तैनात थी। हम गिरफ्तार हो चुके थे। हमें अल्मोड़ा की जेल में बंद कर दिया गया।

जेल में मैं पूरे 23 दिन बंद रहा। हमने जेल के भीतर ही शाखा लगानी शुरू की। शुरुआत में जेलर और पुलिस स्टॉफ शाखा लगाने को लेकर असहज था, लेकिन बाद में वे भी हमारी भावनाओं का सम्मान करने लगे। हम हैरान हो जाते जब जेलर हमें सहयोग करते। नहाने के लिए गर्म पानी मिल जाता। जब बाहर से खाने की इच्छा होती तो इसे भी पूरे कर दिया जाता। राम भक्ति दोनों ओर थी।

पुलिस अपने कर्तव्य से बंधी थी। वह दिन भी आया जब हमें अयोध्या जाने का अवसर मिला, लेकिन हम वहां के लिए निकले ही थे कि कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया। हम दूसरे चरण में अयोध्या गए। वहां पहुंचकर लाखों राम भक्तों की ऊर्जा ने हमें उत्तेजना से भर दिया।

मुझे नहीं मालूम कि कब मैं भी गुंबदों में चढ़ गया। वह संघर्ष, पुलिस से धक्का-मुक्की, लाठीचार्ज और न जाने क्या-क्या घटनाओं के हम साक्षी हैं। यह हमारे लिए गौरव की बात है कि हमने जो सपना देखा था, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वह साकार होने जा रहा है।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *