Dehradun: 150 रुपये के पव्वे के बदले 180 रुपये की जबरन वसूली एक ठेका मालिक को खासी महंगी पड़ गई। जिला उपभोक्ता आयोग ने ठेका मालिक को शराब के अतिरिक्त 30 रुपये लौटाने के अलावा सात हजार रुपये हर्जाना भरने का आदेश सुनाया है। साथ ही आबकारी विभाग को कहा है कि दूषित व्यापार प्रक्रिया अपनाने वाले ठेका संचालक के खिलाफ कार्रवाई करें।
राज्य में शराब के ठेकों पर एमआरपी से अधिक कीमत की वसूली बड़ी समस्या है। इस पर रोक लगाने के लिए आबकारी विभाग ने नई नीति के तहत लाइसेंस रद्द करने का प्रावधान कर दिया है उसके बावजूद ठेका मालिकों की मनमानी जारी है। ऐसे में जिला उपभोक्ता आयोग का यह फैसला शराब विक्रेताओं के लिए बड़ा सबक है।
अवैध वसूली से आर्थिक और मानसिक शोषण हुआ
मियांवाला निवासी अजय कौशिक ने 10 अप्रैल 2021 को रिस्पना पुल के पास शास्त्रीनगर में एक अंग्रेजी शराब की दुकान से 150 रुपये एमआरपी का पव्वा खरीदा था। आरोप है कि सेल्समैन ने एटीएम कार्ड स्वैप करने वाली मशीन के जरिये 180 रुपये काट लिए।
उपभोक्ता के विरोध करने पर उनके साथ गाली-गलौज की और मारपीट पर भी उतारू हो गया। इस संबंध में जिला आबकारी अधिकारी से शिकायत की और ठेका संचालक बलवंत सिंह बोरा को कानूनी नोटिस भेजा लेकिन कहीं कोई असर नहीं पड़ा। इसके बाद जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत की। अजय ने दलील दी कि अवैध वसूली से उनका आर्थिक और मानसिक शोषण हुआ। विरोध करने पर जिस तरह का अभद्र व्यवहार किया, उसका मूल्यांकन शब्दों में नहीं हो सकता।
आबकारी विभाग का जवाब ही बना सबूत
इस मामले में आबकारी विभाग को भी पक्षकार बनाया था। विभाग के जवाब से महत्वपूर्ण मोड़ आया। जिला आबकारी अधिकारी ने जवाब दिया कि 150 रुपये वाले पव्वे के बदले 180 रुपये की वसूली पूरी तरह प्रतिबंधित है। आयोग ने कहा कि मौजूदा साक्ष्य और तथ्यों के साथ जिला आबकारी अधिकारी के जवाब से उपभोक्ता के दावों की पुष्टि होती है। ठेका मालिक को 45 दिनों के भीतर अतिरिक्त वसूले गए 30 रुपये के अलावा मानसिक पीड़ा के लिए पांच हजार और मुकदमा खर्च के दो हजार रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया।