Wed. Oct 9th, 2024

खरीदारों की पूंजी निवेश कर हाउसिंग प्रोजेक्ट में देरी नहीं कर सकेंगे प्रमोटर्स

Dehradun: उत्तराखंड के कई बड़े हाउसिंग प्रोजेक्टों में प्रमोटर्स ने भवन आवंटियों की जमा पूंजी दूसरी जगह निवेश कर दी। इससे आवासीय परियोजनाओं में तय समय के कई साल बाद भी निर्माण पूरा नहीं हो सका। इसे रोकने के लिए उत्तराखंड भूसंपदा नियामक प्राधिकरण (रेरा) त्रैमासिक प्रगति रिपोर्ट (क्यूपीआर) को अनिवार्य करने जा रहा है।

अब प्रमोटर्स को हर तीसरे वित्तीय माह में पंजीकृत परियोजना की प्रगति रिपोर्ट दाखिल करनी होगी। इससे हाउसिंग प्रोजेक्ट में निवेश, निर्माण में प्रगति व खरीदारों से प्राप्त रकम के प्रयोग की पूरी जानकारी रेरा को मिल सकेगी। यह व्यवस्था इसी सप्ताह से शुरू होने जा रही है।

रेरा तुरंत प्रमोटर्स पर कसेगा शिकंजा
गौरतलब हो कि रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम 2016 के अंतर्गत आवासीय परियोजनाओं में प्रमोटर्स के लिए त्रैमासिक प्रगति रिपोर्ट (क्वाटरली प्रोग्रेस रिपोर्ट) दाखिल करना जरूरी है, लेकिन उत्तराखंड में बड़ी संख्या में प्रमोटर्स त्रैमासिक प्रगति रिपोर्ट का ब्योरा नहीं देते। इस कारण आवासीय परियोजनाओं की भौतिक व वित्तीय स्थिति रेरा को नहीं मिल पाती।

परियोजना के फाइनेंशियल इन फ्लो व आउट फ्लो से भी रेरा अनभिज्ञ रहता है। ऐसे में निर्माण कार्य में देरी और आवंटियों से प्राप्त रकम प्रोजेक्ट पर नहीं खर्च करने की शिकायतों में रेरा कोई ठोस कदम नहीं उठा पाता। इसीलिए रेरा ने त्रैमासिक प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने को अनिवार्य कर दिया है, ताकि प्रमोटर्स व प्रोजेक्ट की पूरी फाइनेंशियल जानकारी रेरा के पास उपलब्ध रहे। अब भवन आवंटियों की ओर से जमा रकम का 70 फीसदी हिस्सा प्रोजेक्ट पर खर्च नहीं करने व निर्माण की गति धीमी होने पर रेरा तुरंत ही प्रमोटर्स पर शिकंजा कसेगा।

त्रैमासिक प्रगति रिपोर्ट में यह देनी होगी जानकारी

– भवन निर्माण में पिछले तीन महीनों में हुई वृद्धि।

– फाइनेंशियल अपडेट, खरीदारों से प्राप्त रकम का कितना हिस्सा किस मद में खर्च किया गया।

– प्लॉट, अपार्टमेंट, यूनिट की बुकिंग की वर्तमान स्थिति।

– गैरेज, कवर पार्किंग की बुकिंग की जानकारी।

– बेसमेंट, फ्लोर, सुपर स्ट्रक्चर, लिफ्ट, वाटरहेड टैंक, परिवहन का विवरण।

– आर्किटेक्ट, इंजीनियर, चार्टर्ड अकाउंटेंट, रियल एस्टेट एजेंट आदि में परिवर्तन की जानकारी।

– यदि 10 दिनों के भीतर कोई जवाब नहीं मिलता है तो प्रमोटर को सुनवाई के लिए बुलाएगा और जुर्माना लगाया जाएगा।

प्रमोटर्स को परियोजनाओं की क्यूपीआर हर तीसरे वित्तीय माह में दाखिल करनी होगी। जिन प्रमोटर्स ने पिछली क्यूपीआर दाखिल किए बिना नई क्यूपीआर दाखिल की है, उनके लिए पिछली क्यूपीआर दाखिल करना अनिवार्य है। क्यूपीआर दी गई तिमाही के 15 दिनों के अंदर दाखिल करना आवश्यक होगा। इस प्रक्रिया का सख्ती के साथ पालन कराने के पीछे उद्देश्य प्रमोटर्स व खरीदारों के बीच पारदर्शिता बढ़ाना है। – नरेश सी मठपाल, सदस्य, उत्तराखंड रेरा

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *