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युद्धग्रस्त क्षेत्रों से हो रहा पलायन, 13 लाख लोगों ने यूक्रेन छोड़ा

रूसी सेना ने यूक्रेन पर हमले पहले से कहीं और तेज कर दिए हैं। अब तक करीब 13 लाख लोग युद्ध की वजह से यूक्रेन छोड़कर जा चुके हैं।

कीव, रायटर। युद्ध के दसवें दिन शनिवार को यूक्रेन के दो शहरों में फंसे नागरिकों को सुरक्षित रास्ता देने के लिए रूस ने संघर्षविराम कर दिया। मास्को में रूसी रक्षा मंत्रालय ने कहा, मारीपोल और वोल्नोवाख में फंसे लोगों को निकलने के लिए फायरिंग रोकी गई है। लेकिन यूक्रेन ने आरोप लगाया है कि रूस की ओर से फायरिंग नहीं रुकी है, इसलिए लोगों को निकालने का काम रोक दिया गया है। इन दोनों शहरों के अतिरिक्त यूक्रेन के बाकी शहरों पर रूस के भीषण हमले जारी हैं। इन हमलों में जान-माल का भारी नुकसान हो रहा है। एक हजार से ज्यादा भारतीय विद्यार्थी भी इन शहरों में फंसे हुए हैं। इन विद्यार्थियों के संदेश आ रहे हैं कि यूक्रेन की सेना उन्हें ढाल बनाकर रूसी सैनिकों से लड़ रही है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने बयान में इस बात की पुष्टि की है। शनिवार को रूस ने फेसबुक के बाद ट्विटर पर भी रोक लगा दी। रूसी सरकार का आरोप है कि दोनों साइट उसके खिलाफ दुष्प्रचार कर रही हैं।

रूस और यूक्रेन के बीच वार्ता में शहरों में फंसे नागरिकों को सुरक्षित रास्ता देने की बनी सहमति के बाद शनिवार को मारीपोल और वोल्नोवाख में फायरिंग रोककर सेफ कारिडोर बनाया गया। कुछ घंटे सब कुछ ठीक चला लेकिन उसके बाद मारीपोल में प्रशासन ने नागरिकों को घर में रहने का निर्देश दिया। कहा कि रूसी सैनिक संघर्षविराम का उल्लंघन कर फायरिंग कर रहे हैं, इसलिए खतरा उठाना ठीक नहीं। यूक्रेन ने अब रेडक्रास और पर्यवेक्षकों की देखरेख में नागरिकों को निकालने का काम शुरू करने की बात कही है।

जबकि रूसी रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि यूक्रेन के तथाकथित राष्ट्रवादियों के हथियारबंद दस्ते नागरिकों को शहरों से निकलने नहीं दे रहे। वे नागरिकों को ढाल बनाकर रूसी सेना से लड़ना चाहते हैं और जिससे नागरिकों के हताहत होने पर रूस को बदनाम करने का मौका मिले। जिन दो शहरों में संघर्षविराम घोषित किया गया है, वे पूर्वी यूक्रेन का हिस्सा हैं और क्रीमिया के नजदीक हैं। दोनों शहरों पर हाल के दिनों में भीषण रूसी हमले हुए थे जिसके चलते वहां के लोग अब घर छोड़कर जाना चाहते हैं। राजधानी कीव, खार्कीव और कई अन्य शहरों को घेरकर रूसी सेना हफ्ते भर से हमले कर रही है। इस घेराबंदी से शहरों में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति रुक गई है और वहां के लोग परेशान हो गए हैं।

मानवाधिकार संगठनों ने यूक्रेन में गंभीर मानवीय संकट पैदा होने की आशंका जताई है। इस बीच देश से बाहर जाने वालों की संख्या बढ़कर 13 लाख हो गई है। महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गो को सुरक्षित स्थानों में पहुंचने के लिए लंबा सफर तय करना पड़ रहा है। राजधानी कीव, खार्कीव, चार्निहीव, ओडेसा आदि पर रूसी सेना के हमले जारी हैं। इन शहरों में हवाई हमलों का खतरा जताने वाले सायरन रात-दिन बज रहे हैं। यूक्रेनी सेना के लिए इन शहरों पर कब्जा बनाए रखना मुश्किल हो रहा है। सूमी में रूसी सेना के प्रविष्ट होने की खबर है, वहां की सड़कों पर लड़ाई शुरू हो गई है।

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