Dehradun: नवनियुक्त शिक्षा महानिदेशक दीप्ति सिंह ने पदभार संभाल लिया है। पदभार संभालने के बाद उन्होंने विभागीय अधिकारियों से लंबित प्रकरणों की जानकारी ली। वहीं, बजट की समीक्षा के निर्देश दिए।विभाग में तबादला एक्ट के तहत शिक्षकों के तबादलों के लिए 10 जून अंतिम तिथि बीतने के बाद भी शिक्षकों के तबादले नहीं हुए।
अन्य विभागों में जहां, कर्मचारियों, अधिकारियों के तबादले हो गए हैं। वहीं शिक्षकों की संख्या के हिसाब से सबसे बड़े विभाग में तबादलों की प्रक्रिया रुकी है। इसके अलावा 2018 से शिक्षकों की पदोन्नतियां भी नहीं हुई। तीन हजार से अधिक शिक्षकों की पदोन्नति लटकी है।
स्कूलों में लगातार घटती छात्र संख्या और बरसात में छात्र-छात्राओं की सुरक्षा सहित कई अन्य चुनौतियां भी हैं। जो नए शिक्षा महानिदेशक का इम्तहान लेंगी। महकमे की कमान संभालने के बाद शिक्षा महानिदेशक ने कहा, जल्द विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर समस्याओं का निपटारा किया जाएगा।
कुछ प्रमुख चुनौतियां
-स्कूलों में छात्र संख्या तेजी से घटती जा रही है। तीन हजार से अधिक स्कूलों में छात्र-छात्राओं की संख्या 10 या फिर इससे भी कम रह गई है।
प्रधानाचार्यों के 80 फीसदी से अधिक पद खाली-
प्रदेश के इंटरमीडिएट कालेजों में प्रधानाचार्यों की कमी बनी है। स्कूलों में प्रधानाचार्यों के 80 फीसदी पद खाली हैं। 1248 स्वीकृत पदों के मुकाबले, 1180 पदों पर प्रधानाचार्य नहीं हैं।
एससीईआरटी की नियमावली नहीं बनी
एससीईआरटी और डायट का वर्ष 2013 में शिक्षा शिक्षक का ढांचा बना, लेकिन इसके लिए नियमावली अब तक नहीं बनी।
सीआरपी, बीआरपी के पदों पर नहीं हुई तैनाती- शिक्षा विभाग में सीआरपी के 670 और बीआरपी के 285 पदों पर आउटसोर्स के माध्यम से तैनाती होनी है जो अब तक नहीं हुई।
-क्लस्टर विद्यालयों के मामलों का निपटारा-शिक्षा विभाग में 559 क्लस्टर विद्यालय बनने हैं। कुछ शिक्षक संगठन इसका विरोध कर रहे हैं।