Fri. Nov 22nd, 2024

फर्जी मार्कशीट सूचना आयोग ने पकड़ी

Dehradun: पौड़ी के महाराजा अग्रसेन हिमालयन गढ़वाल विश्वविद्यालय की फर्जी मार्कशीट पकड़ में आई है। मार्कशीट को एक अभ्यर्थी ने प्रवक्ता पद पर नियुक्ति के लिए लगाया था। राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने गंभीरता को देखते हुए विवि कुलसचिव, उपकुलसचिव से अगली सुनवाई में मामले में कार्रवाई की रिपोर्ट देने को कहा है।

राष्ट्रीय इंटर कॉलेज लावड़ा (मेरठ) में एलटी के शिक्षक ने प्रवक्ता पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन किया। आवेदन संग उन्होंने महाराजा अग्रसेन हिमालयन गढ़वाल विवि (पूर्व नाम हिमालयन गढ़वाल विवि) पौड़ी की मार्कशीट (ए-201932898) लगाई। संदेह होने पर प्रधानाचार्य देवेंद्र कुमार ने विवि को पत्र भेजकर इसका वेरिफिकेशन करने को कहा।

पत्र पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उन्होंने आरटीआई में जानकारी मांगी। विवि के लोक सूचना अधिकारी उप कुलसचिव अनुभव कुमार ने सूचना नहीं दी। प्रथम विभागीय अपीलीय अधिकारी कुलसचिव ने भी वाजिब जवाब नहीं दिया। देवेंद्र ने द्वितीय अपील के लिए सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया। राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने विवि के दोनों सूचना अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया।

उन्होंने उसका कोई जवाब नहीं दिया। आयुक्त ने कहा, इस स्थिति में दोनों अफसरों की भूमिका संदेह के घेरे में है। भट्ट ने टिप्पणी की कि मार्कशीट, डिग्री जैसे संवेदनशील दस्तावेज की सत्यता को भी अगर किसी प्रधानाचार्य को आरटीआई का सहारा लेना पड़े तो खेदजनक है। क्योंकि, मार्कशीट और डिग्री जैसे दस्तावेज सरकारी सेवाओं के लिए अनिवार्य प्रक्रिया का भाग हैं।

 

उपलोक सूचना अधिकारी कुलसचिव अनुभव कुमार बिना रिकॉर्ड आयोग पहुंचे तो राज्य सूचना आयुक्त ने मौके पर ही मार्कशीट का वेरिफिकेशन करने के निर्देश दिए। वेरिफिकेशन में विवि ने स्पष्ट किया कि ऐसी कोई मार्कशीट जारी नहीं की। आयोग ने यह सवाल भी उठाया कि मार्कशीट फर्जी है तो अधिकारी अब तक क्यों चुप रहे। उन्होंने विवि के कुलसचिव, उपकुलसचिव से अगली सुनवाई में इस बात का स्पष्टीकरण मांगा है कि विवि प्रशासन ने फर्जी मार्कशीट पकड़े जाने के बाद क्या कार्रवाई की। उन्होंने ये भी कहा कि विवि के नाम के साथ उत्तराखंड, हिमालय, गढ़वाल का नाम भी जुड़ा है। इस प्रकरण में विवि को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी, ताकि भरोसा बना रहे।

राज्य सूचना आयुक्त भट्ट ने कहा, फर्जी मार्कशीट का मामला गहन जांच का विषय है, क्योंकि कम से कम यह तो स्पष्ट हो गया कि विवि के नाम पर फर्जी प्रमाणपत्र जारी किए जा रहे हैं। आदेश की प्रति कुलपति व उपकुलपति को भेजी गई है, ताकि वह फर्जी मार्कशीट के मद्देनजर विवि की व्यवस्था सुनिश्चित करें।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *